जब हम सोचते हैं की हम सही चल रहे हैं और हमारा कम भी सही है, तब वास्तविक रूप से सही नहीं होते हैं ।
हम किसी ना किसी परदे के पीछे होते हैं और हमारे विचार हमारे नहीं बल्कि लोगों के होते है।
हम उन लोगों से अपनी तुलना करते हैं और आगे बढ़ने के सारे रस्ते ही बंद कर देते हैं।
देखने की बात है की जिन विचारों को हम गुलदस्ते की भांति सजाते हैं उन्हें पलभर में ही छोड़ देते है। और एक नए विचार को पकड़ लेते हैं। जब ये हम समझ पाते हैं तब तक समय हमसे दूर चला जाता है और हम हाँथ पे हाँथ रखे रह जाते हैं।
इसलिए सोचने के पहले हमें दृढ निश्चय कर लेना चाहिए कीजो हम सोचेंगे वाही करेंगे ।
ऐसा करने से केवल और केवल सफलता का स्वाद चख पाएंगे।
Bahut Badhia Likha Hai Bhaiya!!!!
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