Saturday, November 14, 2009

देखना चाहता हूँ

मै भी काफी आशावादी हूँ। सोचता हूँ की अच्छा काम करूँगा तो परिणाम भी अच्छा ही मीलेगा । मेरा सोचना भी कुछ हद तक सही है। पर कभी- कभी उम्मीद के मुताबिक नही मिलता और हम मायूश होने लगते है। लेकिन यह सही नही है। जैसे हम उम्मीदे बनाते है ठीक उसी तरह कुछ नया करने की कोशिस करनी चाहिए। सच्चाई और अपने झूंठ के बीच ख़ुद म ख़ुदफर्क तय करना होगा । बुनियाद में कायम रहते हुए संघर्ष की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। .....................
खैर इस तरह के काम से लोग हमे तो जानेगे और हमारी विचारधारा से भी जुडेंगे। विश्वाश करिए आप महान तो नहीं , पर लायक जरूर बन जायेंगे। यह हमारी पहली सफलता होगी जो खुसी का एहसाश कराएगी। फिलहाल काबिलयत को मापने का हर कोई का अपना पैमाना है। लेकिन हर किसी के पैमाने पर आप खरे उतरें जरूरी नहीं।
---------------------------आज के लिए इतना ही


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