Thursday, March 18, 2010

कारबां ऐ जिंदगी

देखो तो सही हम किस तरह आगे जा रहे हैं। शायद आप को इसमें ख़ुशी मिले।
आप भी आगे और आगे भागने के लिए उतावले हों। शहर अपना, घर अपना , लोग अपने फिर मायूशी क्यूँ। देखो बढ़ने के लिए तो कई रस्ते हैं , जिन रास्तों को हमने अपनाया कुछ हद तक वो भी सही हैं। हम जानते हैं बेगानी सी जिन्दजी आप केवल अपने को प्यार करते है और करें भी क्यों न। हमारी आजादी, हमारी कामयाबी सभी हमारे आईने हैं । और इन्ही के सहारे हि हम दौड़ते हैं। निश्चय ही व्यक्ति को अपना खुद का सम्मान बनाये रखना चाहिए और दूसरे का सम्मान भी करना चाहिए।
.....................................शायद आपकी कोशिश भी यही हो।

Wednesday, March 17, 2010

कब और क्या

जब हम सोचते हैं की हम सही चल रहे हैं और हमारा कम भी सही है, तब वास्तविक रूप से सही नहीं होते हैं ।
हम किसी ना किसी परदे के पीछे होते हैं और हमारे विचार हमारे नहीं बल्कि लोगों के होते है।
हम उन लोगों से अपनी तुलना करते हैं और आगे बढ़ने के सारे रस्ते ही बंद कर देते हैं।
देखने की बात है की जिन विचारों को हम गुलदस्ते की भांति सजाते हैं उन्हें पलभर में ही छोड़ देते है। और एक नए विचार को पकड़ लेते हैं। जब ये हम समझ पाते हैं तब तक समय हमसे दूर चला जाता है और हम हाँथ पे हाँथ रखे रह जाते हैं।
इसलिए सोचने के पहले हमें दृढ निश्चय कर लेना चाहिए कीजो हम सोचेंगे वाही करेंगे ।
ऐसा करने से केवल और केवल सफलता का स्वाद चख पाएंगे।