Sunday, July 8, 2012

विवादों का दौर

देश्ा हो घर इस मामासय विवादों से घ्ािरा है। लोगों की महत्वाकांक्षांए उन पर भारी पड़ रही हैं। बेमतलब ही आरोप-प्रत्यारोप करते रहते हैं। विवशता यह है कि जो इन्हें नकारना चाहता है वह ऐसा कर नहीं सकते और जो इस बात का आनंद उठा रहे हंै उसका परिवार उस आनंद का भुगतान कर रहा है। क्या यह परिपाटी समाज को किसी चरम पर ले जा पाएगी या फिर इसका नामोनिशां तक नहीं रहेगा। हम जानते हैं कि सच्चाई को तलाशना और उसकी बुनियाद का मुआयना करना दोनों ही कठिन काम हैं। और यदि आप इसे करना चाहते हैं तो आपके हौसले आप से भी ज्यादा मजबूत होना चाहिए। विचारों में उत्श्रृंख्ालता नहीं बल्कि ठहराव हो, जो कि आप को संयंमित रखे और ऊर्जा प्रदान करे।
सबसे अहम बात यह है कि इस तरह की आम आदमी की क्यों हुई । वह ऐसे क्यों बदल गया। क्या उसकी मजबूरियों ने उसे तोड़ दिया  या फिर उसने विलासिता के चक्कर में यह सब स्वीकार कर लिया । यदि मजबूरी है तो इसका इलाज संभव है और यदि विलासिता है तो इसका कोई निदान नहीं।
हम सब जानते हैं कि हम जितना विलासी होंगे और पाने की इच्छा का अंत नहीं होगा बल्कि वह ड्रैगन की तरह मुंह ख्ोलती जाएगी और आप उसमें धंसते जाएंगे। जानते हुए भी हमारी आदत नहीं बदली और बस कुछ पलभर की खुशी के लिए जमाने के सुकून को आग  के हवाले कर दिया । इसे अपनी तृप्ति और दूसरों की हार का नाम दे दिया। क्या हमारा यही कर्तव्य है ? क्या हमें समाज में कुछ और करने का  या उसे कुछ अच्छा प्रदान करने की जरूरत नहीं? ये ऐसे सवाल हैं जो हर आदमी के मन में कभी न कभी आते हैं। वह इनसे विचलित भी होता है लेकिन सही मार्गदर्शन न होने की वजह से भृमित हो जाता है।

Thursday, July 5, 2012

सुहाना मौसम या कुछ........

गर्मी का मौसम भी समाप्त हो गया और रिमझिम शुरू हो गई। चिड़ियों का कलरव और झरनों  की कलकल से वातावरण बदल सा गया है। कुछ बच्चों का स्कूल में नया एडमिशन और कुछ पुराने से नए क्लास में पहुंच गए। किसानों ने बुवाई की तैयारी कर ली और साहुकारों ने अपनी गोदामों का जायजा लिया। इस तरह हर कोई अपनी तैयारी में जुटा है। 
पेशेवर भी इस मौसम में बचकर रहना चाहते हैं, क्योंकि डॉक्टर और अस्पताल दोनों ही स्वागत करने को बेताब हैं। स्कूल,कॉलेज और कोचिंग संस्थान लोगों को लुभाने के लिए नए-नए विज्ञापन दे रहे हैं।  सभी का मानना है कि समय रहते संभल जाओ वरना मुशीबत का सामना करना पड़ेगा।
अब दफ्तरों में देखें तो रंगाई,पोंछाई का काम तेज हो गया है। बॉश को शिकायत को मौका न मिले इसलिए पहले ही नोटिसबोर्ड लगा दिए गए। उनमें हिदायतें भी लिख दी गईं। आौर गलती करने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया। आप भी देखिए सुहाना मौसम क्या-क्या परिवर्तन लेकर आया।