Thursday, March 18, 2010

कारबां ऐ जिंदगी

देखो तो सही हम किस तरह आगे जा रहे हैं। शायद आप को इसमें ख़ुशी मिले।
आप भी आगे और आगे भागने के लिए उतावले हों। शहर अपना, घर अपना , लोग अपने फिर मायूशी क्यूँ। देखो बढ़ने के लिए तो कई रस्ते हैं , जिन रास्तों को हमने अपनाया कुछ हद तक वो भी सही हैं। हम जानते हैं बेगानी सी जिन्दजी आप केवल अपने को प्यार करते है और करें भी क्यों न। हमारी आजादी, हमारी कामयाबी सभी हमारे आईने हैं । और इन्ही के सहारे हि हम दौड़ते हैं। निश्चय ही व्यक्ति को अपना खुद का सम्मान बनाये रखना चाहिए और दूसरे का सम्मान भी करना चाहिए।
.....................................शायद आपकी कोशिश भी यही हो।

6 comments:

  1. हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है

    अच्छा लिखें, अच्छा पढ़ें

    बी एस पाबला

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  2. ना दुनिया बदलती है ना दुनियावाले,
    फैज़ जलवा से अपनी नज़र बदल जाती है,
    ना तैयुन है मकां को ना ज़मां को है करार,
    ज़िन्दगी कैफ-ए-मोहब्बत से सम्हल जाती है.....

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  3. Shubhkamnaye! Swagat hai.

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  5. बहुत सुन्दर । स्वागत है आपका । लिखते रहे

    गुलमोहर का फूल

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